इसके लिए मेरी छोटी समझ में जो बातें आती हैं, उन्हें यहां रखना चाहता हूं। जरा इस पर विचार कीजिए कि इंसानों के इस जंगल में एक इंसान का शक्ल तक दूसरे से नहीं मिलता तो एक इंसान की फितरत, सोचें, उसके मिजाज कैसे दूसरे से मेल खायेंगे? हर व्यक्ति का अलग वजूद है, अलग अहमियत है, अलग खासियत है, अलग गुण है। गांधी गांधी हैं, नेहरू नेहरू। उनकी पहचान और महत्ता तक अलग-अलग परिभाषित है। न्यूटन भी आदमी थे और आइंस्टीन भी। बुद्ध और महावीर के बारे में सोचिए। इन सभी ने एक दूसरे के जैसा क्या कभी होने की कोशिश की? अगर एक दूसरे के जैसा होने की उन्होंने कोशिश की होती तो क्या जमाना उन्हें उस रूप में याद करता, जिस रूप में वे आज याद किये जाते हैं? सब गड्ड-मड्ड हो गया होता न?
मेरा मानना है कि दूसरों को देखकर हीन भावना से ग्रसित होने के बजाय आप खुद को देखने की कोशिश शुरू कीजिए। अपनी खासियत, अपनी सलाहियत और अपने वजूद को परिभाषित करने की दिशा में आप जितना सचेष्ट होंगे, उतना ही हीन भावनाओं के घेऱे से दूर निकलते जायेंगे। इतना ही नहीं, आप उनके लिए भी प्रेरणादायक बन जायेंगे, जिन्हें देखकर और कोसकर आप हीन भावना के शिकार होते हैं। याद रखिए, जिंदगी कभी तुलनाओं में अपना रास्ता नहीं तलाशती। जिंदगी का मुकाम मेहनतों और कोशिशों पर टिका होता है। जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान। यह कहावत भी आपने सुनी होगी, जिन ढूंढ़ा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ। मेहनत से जी चुराने वाले ही हीन भावना से ग्रसित हो सकते हैं। जिन्होंने मेहनत की ठान ली, वे जय-पराजय की बात करते हैं। जीते तो जश्न मनाते हैं, हारे तो अगली लड़ाई की तैयारी करते हैं। और यहां एक दिलचस्प बात कहना चाहूंगा-विश्व भर में या तो युद्ध चलता है या युद्ध की तैयारी चलती है। तैयारी का क्षण कोई हीन भावना से ग्रसित होने के रूप में बिताना या मनाना चाहे तो उसे आप क्या कहेंगे, बेवकूफ ही न?
फिलहाल इतना ही। व्यक्तित्व विकास के सिलसिले में हीन भावना से उबरने की संभावनाओं पर चर्चा यहीं संपन्न करता हूं। व्यक्तित्व विकास पर अभी चर्चा जारी रहेगी। मेरी समझ से हीन भावना से उबरने की दिशा में सूत्र तलाशते चार आलेखों से व्यक्तित्व विकास के लिए सक्रिय सज्जनों को काफी मदद मिलेगी। धन्यवाद।
यूं ही छोड़ देने से परिस्थितियां ठीक नहीं होतीं।
अभिभावक जैसा आलेख, वाह, धन्यवाद। - देवेन्द्र सिंह, जमशेदपुर।
ReplyDeleteहीन भावना से कैसे उबरें, इस पर सीरीज कंपलीट करने को लेकर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। व्यक्तित्व विकास पर आपके अगले आलेख का इंतजार रहेगा। - ब्रजेश, जमशेदपुर।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।बधाई।
ReplyDeleteबहुत सही बात कही आप ने, हमे अपने आप को कभी भी हीन न्नही समझना चाहिये.
ReplyDeleteधन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे