Friday, November 23, 2012

एक राज लौटते हुए

राज है कि पथिक घर आया, ठहरा और एक सर्द अफसाने के साथ भोर के धुएं में जर्द हो गया।

राज है कि रात जो काली थी, डूबी थी अंधेरे की गर्त में, उसकी सुबह हो गई, दमक गई, चमक गई।

राज है कि न उसने कुछ बोला, न पथिक ने, मगर रात भर बातें होती रहीं, सुबह तो दोनों थक गए।

राज है कि जब सांकल बजा था तो कौन चौंका था, कौन उठा था और किसने दरवाजा खोला था।

राज है कि सांकल बजा भी था या नहीं, दरवाजा खुला भी था या नहीं, बाहर कोई था भी या नहीं।

राज है कि एक गर्मी आई थी, टकराई थी और उफ-आह के साथ चिपक गई थी दरवाजे से।

राज है कि होंठ बढ़े, सांसें टकराईं, सूनी दास्तां, खूनी दास्तां, अंधेरे से शुरू, अंधेरे में खत्म।

राज है कि सुबह आई, और भी आएंगी, पर रात लंबी हो गई, न बीती, न बीतेगी, नहीं, नहीं बीतेगी।

राज है कि जाते हुए पथिक को दो जोड़ी आंखें रोक रही थीं, लब खामोशी की चादर ओढ़े थे।

राज है कि एक चेहरा बोल रहा था, पथिक सुन रहा था, कान जर्द थे और हृदय सर्द था।

राज है कि ठिठुरती जिंदगी कैसे कांपती टांगों के साथ भोर के धुएं में रफ्ता-रफ्ता खो गई थी।

राज है कि फिर पथिक कभी क्यों रास्ता नहीं भटका, कैसे बन बैठा वह इतना सावधान।

कैसे, राज है, है न राज?

Monday, November 12, 2012

जरा दीये जलाना...

एक बाती 

ओ साथी    

अंधेरा घना है
जरा दीये जलाना
जरा हाथ बढ़ाना
अंगुलियों के रास्ते
संभलकर
घिसना 
तीलियां
माचिस की
जिन्हें जल जाना है
जिन्हें जल कर भी
दीया जलाना है
एक बाती
ओ साथी
जरा दीये जलाना
जरा हाथ बढ़ाना .......

दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ।

Sunday, November 11, 2012

धन बरसे गगन बरसे

बनारस के सुड़िया में स्थापित यह हैं भगवान धन्वंतरि। 

अहा, बनारस में माता अन्नपूर्णेश्वरी  की यह स्वर्ण प्रतिमा, कितना मनोरम!

धन बरसे
तन बरसे 
 
थोड़ा-थोड़ा बरसे 

मन बरसे


बरसे बरसे
गगन बरसे
 
मगन बरसे
लगन बरसे
 
आग लगे पानी 
में अगन बरसे
 
धनतेरस का दिन है
 
भुवन बरसे
 भुवन बरसे
 भुवन बरसे  ...... 

धनतेरस पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ.....