वेतन वृद्धि के फिराकों में,
पीएफ में कटौती रुकवाने के जज्बातों में,
संतति के मुंडन, जनेऊ, शादी, पढ़ाई-लिखाई के सवालातों में,
लदते जा रहे कर्ज के कागजातों में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय।
कल ये करूंगा, कल वो करूंगा,
टकटकी लगाये बैठे हैं कल पर,
और कल कभी आयेगा?
आ तो आज रहा, गा रहा, चला जा रहा,
और कल की मुलाकातों के ख्यालातों में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय।
जब दिल बीमार हो जाये तो गाते रहो,
दोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा,
ऐंठन भरी आंतों में, विरह की रातों में,
दोस्तों की बातों में, दुश्मनों की करामातों में,
सभी तो इंसान हैं, कोई किसी से कम नहीं,
खाओ-पीओ, मौज उड़ाओ, मर जाओ तो गम नहीं,
कल का इंतजार, कल ये करूंगा, कल वो करूंगा,
और इंतजार के मकानातों में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय।
अपनों के सपनों में तड़पन है जिंदगी,
लेन-देन बाकी तो बचपन है जिंदगी,
दुनिया को देखो तो विचरन है जिंदगी,
प्रेम की कहानी में बिछुड़न है जिंदगी,
बस, कल सब ठीक हो जायेगा,
मेहनत है, हिम्मत है,
किस्मत है, मिल्लत है,
दिन-दिन भर भूखों रहने की लत है,
बच्चा भी भूखा, मैं भी हूं भूखा,
भूख के घेरे में सबकुछ है सूखा,
सूखे पड़े खेत, सूखा पड़ा खाता,
और खाता के 'खातों' में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय।
वह कवि हृदय,
जहां गीत उपजते थे, संगीत उपजते थे,
मीत उपजते थे, मिलन की रीत उपजते थे,
गम की न थी बात, सदा ही जीत उपजते थे,
और उन जीत के 'जातों' में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय, वह कवि हृदय....।
यदि आप अपनी आंखें बंद रखेंगे तो सामने अंधेरा ही तो दिखेगा।
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना . अच्छी लगी .बधाई.
ReplyDeleteकवि ह्र्दय की व्यथा बहुत सुन्दर शब्दों में बयान की है।
ReplyDeleteसच में-जीवन की इन झंझावतो में-कहाँ खो गया कवि हृदय.
ReplyDelete-बहुत बेहतरीन रचना.
जब दिल बीमार हो जाये तो गाते रहो,
ReplyDeleteदोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा,
ऐंठन भरी आंतों में, विरह की रातों में,
दोस्तों की बातों में, दुश्मनों की करामातों में,
सभी तो इंसान हैं, कोई किसी से कम नहीं,
खाओ-पीओ, मौज उड़ाओ, मर जाओ तो गम नहीं,
कल का इंतजार, कल ये करूंगा, कल वो करूंगा,
और इंतजार के मकानातों में,
कहां खो गया न जाने,
वह कवि हृदय।
मैने लिखा था-कवि तुम पागल हो।
kavi hriday = yah rachna kavita ke star par to sundar hai hi, patrakar man ki vyatha bhi kahti hai..
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