Saturday, January 17, 2009

कोई तुमसे भी तंगहाल है

हाल ए दिमाग की बात करूं, दिल बेहाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
अभी मैं आया, तुम आये और आ गये वे भी,
कसम दे-दे के वे हंसा गये, रुला गये भी,
एक बार रोया तो फिर कैसे हंसूं, ये सवाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
ठीक था, तेरा हक था, जिसे फरमा गये,
मगर ये तो सोचो, हम भी तेरे पेच में आ गये,
हमें जो करना था, वो नहीं किया, ये मलाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
बनेंगे मजनू, राबिनहुड, बनेंगे विक्रमादित्य, चाणक्य,
करेंगे ताल-पचीसी, कलेजा कर रहा धक-धक,
फकत दो वक्त की रोटी, फकत एक वक्त का सोना,
किस्सा जख्मे जुनून का, उसे होना या न होना,
फकत किसको ख्वाब है, फकत किसको खयाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
चले थे तेज रफ्तारी, कभी ख्वाबों-खयालों में,
हकीकत बन के मुफलिसी, लटक गयी है तालों में,
खुलेगा कैसे मुकद्दर, जी का जंजाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
आओ तुम्हारे जख्म पे मरहम लगा दूं मैं,
सुरों में बांधकर, साजों को, फिर से सजा दूं मैं,
तुम्हारे साथ मैं रो लूं, तुम्हारे साथ मैं हो लूं,
दुखों को भूल जाऊं मैं, सुखों की बात मैं कर लूं,
तुझे तो चाहिए इतना और तुमने पाया है इतना,
तुम्हारा नाम है इतना और देखो काम है इतना,
गुनाह माफ करो, कोई तुमसे भी तंगहाल है,
इज्जत लुटने का खतरा है, ये खयाल है।
ये खयाल है, ये खयाल है।
ये खयाल है कि हम भी हैं।
ये खयाल है कि तुम भी हो।
ये खयाल है कि इज्जत भी है।
और इसके लुटने का खतरा है, ये खयाल है।

घोंसला अंडे सेवने के लिए तो महफूज जगह है, पर जिन परिंदों को पंख लग गये हों, उनकी उड़ान के लिए नहीं।

3 comments:

  1. कौशल जी, अच्छा लगा। वाह, वाह। बहुत अच्छा। आपकी कविता में जीवंतता है और सभी के लिए है।

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  2. badhiya likha hai aapne behad umda lekhan...
    dhero badhai kubul karen....
    meri nai gazal jarur padhen...


    regards
    arsh

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  3. उम्दा रचा है..बहुत खूब!!

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