मैं झूठ नहीं बोलना चाहता,
झूठ बोलने वालों को फांसी होती है,
यहां न सही, वहां ही होती है, मगर
फांसी न चढ़ जाऊं, इसलिए माफ करना
मैं झूठ बोलता हूं ।
झूठ मत बोलना, कहा था मेरे बाप ने, गुरू ने,
मैंने देखा उन्हें बात-बात पर झूठ बोलते,
तो वादामाफ करना,
अनजाने में, मैं झूठ बोलता हूं ।
झूठ के दम पर टिके मीनारों की कसम,
उस चश्म, उस नज्म, उन बंजारों की कसम,
जिस नज्म में नकल की आदत शुमार है,
चंद मेहनत और पैसों की चाहत बेशुमार है,
जिसे देखने के लिए चश्मे की दरकार है,
किसी की भी हो, सरकार है, सरकार है,
जो बंजारों की बाजार है, बेकार है,
झूठ की बोली और झूठों की टोली,
सच की शान में छप्पन की गोली,
तो इंसाफ करना,
मैं झूठ बोलता हूं ।
उन ज्योतिष नजारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
उन फिल्मी सितारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
उन नकली हरकारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
उन फर्जी पत्रकारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
उन मिलावटी व्यापारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
मकान हड़पने की चाहत लिए किरायेदारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
अर्थेच्छु कलमकारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
'मां' तक को नंगा करने वाले चित्रकारों की कसम, मैं झूठ बोलता हूं ।
हां भैये हां, हां, हां,
मैं झूठ बोलता हूं,
बोलता हूं मैं झूठ बोलता हूं, मैं झूठ बोलता हूं ।
(कविता पुरानी है, 6-11-1998 की रात में लिखी हुई, पर ताजा है, क्योंकि आज ही यह मेरी डायरी से निकलकर सार्वजनिक हो रही है । उम्मीद है, पसंद आयेगी । -कौशल)
माना कि चंदन मुफीद है दर्दे सर के लिए, पर चंदन लाना, घिसना, लगाना, दर्दे सर से कम है क्या ?
भाई कौशल जी,
ReplyDeleteशानदार और बेबाक लिखा है आपने। इन चंद पंक्तियों में आपके व्यक्तित्व का अक्स दिखता है। मुबारक।
प्रिय सुप्रतिम जी,
ReplyDeleteकविता को शानदार और बेबाक बताने के लिए धन्यवाद। यह मेरी खुशनसीबी है कि इस कविता से कम से कम वर्षों बाद मेरा व्यक्तित्व आपके जेहन में गूंजा, वरना आप तो हमें भूल ही गये थे। भूल गये थे कि नहीं?
Bahut badiya.
ReplyDeleteशुक्ला जी जरा धीरे. इतनी भागने वाली रफ्तार क्यों?
ReplyDeleteबेहतरीन!!!
ReplyDeleteपुरुषोत्तम जी, शायद आपको ख्याल हो कि दुनिया गोल है और एक सिरे से चलना शुरू कर आप फिर उसी सिरे पर पहुंच सकते हैं। रफ्तार का मतलब ही होता है चलना-भागना। जिस अर्थ में आपने भागने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया है, उसकी संभवतः कोई रफ्तार नहीं होती। धन्यवाद।
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