मुबारक हो ... फिर आया नया साल ...
नया आकाश हो ... नया विहान ...
नई आकांक्षा ... नया वितान ...
जो बीत गया...
जो छूट गया .....
एक अर्पण, एक तर्पण
ना गुंजन, ना सृजन
रो रहा है कण-कण...
अंधेरा घना, लहू से सना
प्रत्यंचा तना, हंसना मना
रो रहा है कण-कण ...
बच्ची ने सच्ची कर दी
जान की कच्ची कर दी
इज्जत कुर्बान कर के
आन को सान दिया
जाओ हे पुरातन
तुम जल्दी जाओ
आओ हे अधुनातन
तुम जल्दी आओ
रो रहा है कण-कण...
नया आकाश हो ... नया विहान ...
नई आकांक्षा ... नया वितान ...
जो बीत गया...
जो छूट गया .....
एक अर्पण, एक तर्पण
ना गुंजन, ना सृजन
रो रहा है कण-कण...
अंधेरा घना, लहू से सना
प्रत्यंचा तना, हंसना मना
रो रहा है कण-कण ...
बच्ची ने सच्ची कर दी
जान की कच्ची कर दी
इज्जत कुर्बान कर के
आन को सान दिया
जाओ हे पुरातन
तुम जल्दी जाओ
आओ हे अधुनातन
तुम जल्दी आओ
रो रहा है कण-कण...
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