एक का चमक रहा घर व गांव, दूसरे का डूब-धंस रहा
एक 'शेक्सपीयर’ थे ब्रिटेन के विलियम शेक्सपीयर। अपनी रचनाओं (नाटकों व कविताओं) के लिए विश्व भर में प्रसिद्धि पाई और अपने देश ब्रिटेन का नाम रोशन किया। और देखिए, देश और देशवासियों ने उन्हें क्या दिया। उनकी यादों को सहेजकर, उन्हें चमका कर और उन्हें दर्शनीय बना कर उन्हें फिर से जिंदा कर दिया। एवन नदी के किनारे स्ट्रैटफोर्ड है वह जगह, जहां स्थित एक घर में शेक्सपीयर जन्मे, खेले-कूदे और जवान हुए। आज उनका घर ही नहीं, पूरा स्ट्रैटफोर्ड अपान एवन नामक छोटा शहर विश्व के नक्शे पर पर्यटन स्थल के रूप में दमक रहा है। लंदन से 110 किलोमीटर दूर इस स्थल तक पहुंचने के लिए ट्रेन व बस सेवाएं दोनों हैं। प्रशंसकों ने तो शेक्सपीयर एक्सप्रेस नाम की भी एक ट्रेन चला दी है।
और एक थे अपने 'शेक्सपीयर’ रामवृक्ष बेनीपुरी। रचनाधर्मिता का मुक्ताकाश, साहित्य के पुरोधा, क्रांति की मशाल। एक नदी (नाम बागमती) के किनारे बसा है इनका भी गांव बेनीपुर। बस व ट्रेन तो छोडि़ए, इस गांव तक पैदल जाने का भी रास्ता नहीं है। दो बांधों के बीच टापू बने इस गांव को गुड़हन के जंगल ने अपनी आगोश में ले रखा है। हर साल आने वाली बाढ़ की गाद से पूरा गांव जमींदोज होता जा रहा है। और इसी गांव में है वह मकान, जहां हमारे 'शेक्सपीयर’ का जन्म हुआ था। यह मकान भी पूरे गांव के साथ रफ्ता-रफ्ता गायब होता जा रहा है। जो रफ्तार है, अगले पांच-सात सालों में तो यह जरूर ही गायब हो जाएगा।
आज अपने 'शेक्सपीयर’ की जयंती है। गांव वालों ने गुड़हन को काट कर रास्ता बना दिया है। घर और सामने लगी बेनीपुरी जी की प्रतिमा की साफ-सफाई भी कर दी है। बेनीपुरी जी के पुत्र महेन्द्र बेनीपुरी हर साल की तरह इस साल भी धूमधाम से जयंती मना रहे हैं। बेनीपुरी चेतना समिति की ओर से एक समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्लानिंग बोर्ड के उप चेयरमैन हरिकिशोर सिंह और स्थानीय विधायक राम सूरत राय शामिल हो रहे हैं। देखना है कि इस बार क्या घोषणाएं होती हैं? क्या फिर वही कि बेनीपुर को चमकाएंगे, यहां आकर गांव वालों के साथ पूरी रात बिताएंगे? विस्थापित होने को तैयार बेनीपुर गांव में रह रहे बेनीपुरी जी के परिजनों की मांग है, पुनर्वासन और मुआवजा। देखना है कि इस बार क्या यह उन्हें मिल पाता है?
एक 'शेक्सपीयर’ थे ब्रिटेन के विलियम शेक्सपीयर। अपनी रचनाओं (नाटकों व कविताओं) के लिए विश्व भर में प्रसिद्धि पाई और अपने देश ब्रिटेन का नाम रोशन किया। और देखिए, देश और देशवासियों ने उन्हें क्या दिया। उनकी यादों को सहेजकर, उन्हें चमका कर और उन्हें दर्शनीय बना कर उन्हें फिर से जिंदा कर दिया। एवन नदी के किनारे स्ट्रैटफोर्ड है वह जगह, जहां स्थित एक घर में शेक्सपीयर जन्मे, खेले-कूदे और जवान हुए। आज उनका घर ही नहीं, पूरा स्ट्रैटफोर्ड अपान एवन नामक छोटा शहर विश्व के नक्शे पर पर्यटन स्थल के रूप में दमक रहा है। लंदन से 110 किलोमीटर दूर इस स्थल तक पहुंचने के लिए ट्रेन व बस सेवाएं दोनों हैं। प्रशंसकों ने तो शेक्सपीयर एक्सप्रेस नाम की भी एक ट्रेन चला दी है।
और एक थे अपने 'शेक्सपीयर’ रामवृक्ष बेनीपुरी। रचनाधर्मिता का मुक्ताकाश, साहित्य के पुरोधा, क्रांति की मशाल। एक नदी (नाम बागमती) के किनारे बसा है इनका भी गांव बेनीपुर। बस व ट्रेन तो छोडि़ए, इस गांव तक पैदल जाने का भी रास्ता नहीं है। दो बांधों के बीच टापू बने इस गांव को गुड़हन के जंगल ने अपनी आगोश में ले रखा है। हर साल आने वाली बाढ़ की गाद से पूरा गांव जमींदोज होता जा रहा है। और इसी गांव में है वह मकान, जहां हमारे 'शेक्सपीयर’ का जन्म हुआ था। यह मकान भी पूरे गांव के साथ रफ्ता-रफ्ता गायब होता जा रहा है। जो रफ्तार है, अगले पांच-सात सालों में तो यह जरूर ही गायब हो जाएगा।
आज अपने 'शेक्सपीयर’ की जयंती है। गांव वालों ने गुड़हन को काट कर रास्ता बना दिया है। घर और सामने लगी बेनीपुरी जी की प्रतिमा की साफ-सफाई भी कर दी है। बेनीपुरी जी के पुत्र महेन्द्र बेनीपुरी हर साल की तरह इस साल भी धूमधाम से जयंती मना रहे हैं। बेनीपुरी चेतना समिति की ओर से एक समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्लानिंग बोर्ड के उप चेयरमैन हरिकिशोर सिंह और स्थानीय विधायक राम सूरत राय शामिल हो रहे हैं। देखना है कि इस बार क्या घोषणाएं होती हैं? क्या फिर वही कि बेनीपुर को चमकाएंगे, यहां आकर गांव वालों के साथ पूरी रात बिताएंगे? विस्थापित होने को तैयार बेनीपुर गांव में रह रहे बेनीपुरी जी के परिजनों की मांग है, पुनर्वासन और मुआवजा। देखना है कि इस बार क्या यह उन्हें मिल पाता है?
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