भविष्य सुधारने के लिए आप क्या करते हैं? सपने देखते हैं और उसे साकार करने की कोशिशें करते हैं। सपने साकार हुए तो अच्छा और टूट गये तो .....? डर यहीं होता है, घबराहट यहीं होती है। इलाहाबाद से मेरे एक मित्र श्री सतीश श्रीवास्तव ने सुझाया है कि भविष्य संवारने के सिलसिले में मैं अपने ब्लाग पर गोपाल दास नीरज की उस कविता को पूरा का पूरा रखूं, जिसमें उन्होंने फरमाया है कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है, चंद खिलौने के खोने से बचपन नहीं मरा करता है। सो, मित्र की बातों पर अमल करते हुए परम आदरणीय, सुप्रसिद्ध कवि व गीतकार नीरज जी के प्रति पूर्ण सम्मान भाव के साथ उनकी रचना मैं यहां अपनी श्रृंखला में ऱखता हूं। इस आशा के साथ कि मेरे मित्र की बातें सही साबित हों और भविष्य संवारने की दिशा में जुटे लोगों में इससे कुछ आशाओं का संचार हो पाये। सो पेश है गोपाल दास नीरज की यह अमर रचना -
छिप-छिप अश्रु बहाने वालो
मोती व्यर्थ लुटाने वालो
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आंख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालो
डूबे बिना नहाने वालो
कुछ पानी के बह जाने से
सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आंसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रुठे दिवस मनाने वालो
फटी कमीज सिलाने वालो
कुछ दीयों के बुझ जाने से
आंगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहां पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालो
चाल बदलकर जाने वालो
चंद खिलौनों के खोने से
बचपन नहीं मरा करता है।
व्यक्तित्व विकास के सिलसिले में भविष्य संवारने के नुस्खों का जिक्र करती बातें अभी जारी रहेंगी। धन्यवाद।
Friday, August 21, 2009
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यह तो अधूरी छोड़ दी आपने कविता।
ReplyDeleteशेष छूटा पाठ यह है -
कितनी बार गगरियाँ फूटीं
शिकन न आई पनघट पर
कितनी बार कश्तियाँ डूबीं
चहल-पहल वो ही है तट पर
तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो!
लाख करे पतझर कोशिश, पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन
लुटी न लेकिन गंध फूल की
तूफ़ानों तक ने छेड़ा, पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की
नफ़रत गले लगाने वालो! सब पर धूल उड़ाने वालो!
कुछ मुखड़ों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है॥
डा. कविता वाचक्नवी जी, आपको बहुत-बहुत बधाई। आपने नीरज जी की इस कविता को पूरी कर जो काम किया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाय, कम है। आपके इस सकारात्मक सोच को फिर से धन्यवाद।
ReplyDeleteek jinda dil roojhan. anoj, ajmer, rajasthan.
ReplyDeleteसच, नीरज की यह रचना व्यक्ति को आशाओं से भरे संसार में ले जाती है।
ReplyDeleteसुंदर रचना तो थी ही .. कविता जी ने और चांद लगा दिया !!
ReplyDeleteNayee urja ka sanchar karne wali post ke liye badhaii.
ReplyDeleteAnoj, Ajmer
Jeevan chalne ka naam.
ReplyDeleteThink Scientific Act Scientific
प्रेरणादायक।
ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteइस श्रृंखला के अगले आलेख का रहेगा इंतजार।
ReplyDeleteरचना बहुत ही प्रेरणादायक है
ReplyDeletesundar !
ReplyDeleteyah aksharasa jeevan main sach utarti hai. main neerajji ki kavita se bilkul sahmat hun.
ReplyDeleteRaktim Tiwari, Ajmer
The thoughts of this poem is celestial, everyone can get a new energy by this type of thought. Thank you for this post.
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