हजारों पत्थर आकर तेरे सर पड़ेंगे।
ऐसा कोई घर नहीं, जिसमें तुम छुप सको,
पनाह देने वाले ही तुमसे लड़ पड़ेंगे।
नाजो अदा से जिन्होंने तुम्हें पाला था,
मौका-ए-वारदात पर वे मुकर पड़ेंगे।
तंग कश्ती है, तंग बस्ती है और तंग मस्ती है,
बच्चों को मत बताना, वे डर पड़ेंगे।
बच्चों को ये बताना कि खेल ही है दुनिया,
वरना नादानगी में वे कुछ कर पड़ेंगे।
लोग कहते हैं, कौशल, तुम बड़े मुंहफट हो,
मेरी मुहब्बत के अंजाम पे लोग मर पड़ेंगे।
मैंने जाना है चेहरे पे लगे चेहरों की हकीकत,
कह दूं, तो बिना आंधी कई मकां उजड़ पड़ेंगे।
भूल से भी एक कंकड़ मत उछालना यारो,
हजारों पत्थर आकर तेरे सर पड़ेंगे।
( नोट - ये पंक्तियां दुष्यंत साहब की रचना - एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो - से प्रेरणा पाकर लिखी गयीं। विचारार्थ प्रकाशित कर रहा हूं। आपकी कोई भी टिप्पणी - सकारात्मक या नकारात्मक - शिरोधार्य होगी। - कौशल)
आप मुझे उस व्यक्ति को दिखायें, जिसे आपने सम्मानित किया है। मैं आपके बारे में सबकुछ बता दूंगा।
ek kadam to himmat ka uthao yaaron
ReplyDeleteraste khud tumhare peeche chal padenge
i was searching hindi blogs so
aap mil gaye
badhiya.......
u many remove slide show as it slows down page downloading.
ReplyDeletethanks.
BAHUT ACHHA LIKHA HAI BDHAAI
ReplyDeleteअर्कजेश जी, हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया। - कौशल
ReplyDeleteनिर्मला जी, बधाई देकर आपने मुझे आगे का रास्ता दिखाया है। इसके लिए आपको बधाई। - कौशल
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