Monday, March 9, 2009

खेलूं मैं होली खून से

होली के रंग में भंग हो गया
जब थोड़ा सा मनवा मेरा तंग हो गया,
बात कुछ ऐसी हुई, मैं गया भाभी के पास,
दिल में एक आग लिये और लिये ढेरों आस,
घर में मैं ज्योंही घुसा, पाया था चूल्हा ठंडा,
ढंडा चूल्हा देखकर सर पे पड़ा था डंडा,
बदतमीजी आदतन थी, चाहा खेलना होली,
भाभी का स्वीकार देखकर चलने लगी सीने पे गोली,
हाय मेरी बदकिस्मती, भाग भी न पाया,
जड़वत खड़ी भाभी ने जब दुखड़ा अपना सुनाया,
भैया गये थे पास की दुकान में लेने को राशन,
राशन क्या मिलता, उन्हें सुनना पड़ा था कड़वा भाषण,
कई महीने हो गये उधार का खाते-खाते,
खाली हाथ लौट आये छुपते, छुपाते,
बच्चे गये पड़ोस में, चाचा खिलायेंगे तो कुछ,
होली के इस रंग में रंगी खड़ी हूं बनके बुत,
आप आये हैं यहां तो आपकी भी आस है,
खेलिए होली, आपकी भाभी आपके पास है,
रंग और गुलाल से तर कीजिए, आइए जनाब,
हुस्न को हाथों से भर लीजिए, आइए जनाब,
वर्ष भर के बाद आया है यह होली का त्योहार,
बस समझिए, आप मुझको आज का ताजा उपहार,
'गलियों के कुत्ते' हमेशा भूंकते हैं मौज से,
उनको क्या पड़ी है, इन भूखों की बेबस फौज से,
दिल में जो इक आग थी, वह और भी भड़क उठी,
घर से जो भागा तो दहलीज भी कड़क उठी,
भागता परिवेश से, आक्रोश से, जुनून से,
दिल में इक आग थी, खेलूं मैं होली खून से,
उनके खून से, जिन्होंने बेबसों को मारा है,
जिनका बच्चा बाप के होते भी बेसहारा है,
रैलियों-रैलों की जिनको चिंता है सुन लीजिए,
मरना पड़ेगा आपको भी, रास्ता चुन लीजिए,
एक होली आपकी भी होगी ऊपर में हजूर,
रंग में जब भंग पड़ेगा, रोइएगा जरूर,
आप होंगे तन्हा और तन्हाई होगी साथ में,
न्याय का कोड़ा पड़ेगा, लहू होगा हाथ में,
बेबसों पर जुल्म का इल्जाम होगा आप पर।
आप होंगे घाट पर और घाट होगा आप पर।।

आपकी क्षमताएं आपको टाप पर पहुंचाती हैं, पर आपका आचरण आपको उस टाप पर बनाये रखता है।

8 comments:

  1. बेबसों पर जुल्म का इल्जाम होगा आप पर।
    आप होंगे घाट पर और घाट होगा आप पर।।

    आपको होली की शुभकामनाएं.
    नीरज

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  2. कविता ठीक है, पर थोड़ी छोटी हो। जमाना चट सुनने और पट पढ़ने का है।

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  3. होली पर एक अच्छी कविता। अनोज, अजमेर, राजस्थान।

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  4. शुक्ला जी, आपकी यह रचना पुरानी लगती है। - देवेन्द्र सिंह, जमशेदपुर, झारखंड।

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  5. Aapki rachna abhibhoot kar gayi....bahut hi sahi saarthak samsamyik hai...aaina dikhati hui..

    Bahut sundar..

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  6. देवेन्द्र जी, आपने सही पकड़ा। और जब पकड़ ही लिया तो यह भी बता दूं कि होली पर इन्हीं लाइनों के साथ मैंने कविता के क्षेत्र में कुछ लिखने की हिम्मत की थी। पूरे बारह साल पहले। यह मेरी पहली कविता थी, इसलिए लोगों को भले इसमें बहुत कुछ खटके, पर मुझे तो यह प्यारी ही लगती है।

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  7. बहुत सुंदर ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।

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  8. बहुत ही सुंदर कविता.
    आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
    बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

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