तोव्यक्तित्व विकास के लिए यह समझ लेना आवश्यक है कि किसी भी अच्छे परिणाम के लिए इंतजार करना पड़ता है। आपको खाना खाना है। इसके लिए खाना बनाने की जरूरत होगी। बनने में समय लगेगा। बिना समय दिये खाना पकता है क्या? बड़े-बुजुर्गों को हमेशा यह कहतेआपने सुना होगा। इंतजार का फल मीठा होता है। जीवन संदेशों में कर्म पर जोर देकर फल से व्यक्ति को बिल्कुल परे रहने को कहा गया है। यह शायद इसलिए कि आपके हाथों में कर्म ही है। हां, फल का मिलना कर्मों के आधार पर ही तो तय होता है। आपने किसी को गाली दी, आपका पिटना तय है। यदि गाली खाने वाला आपको नहीं पीट रहा है तो वह उसकी गांधीगीरी है, उसे सलाम ठोकिए। तो इंतजार जरूरी है। हड़बड़ी में गल्ती होने की संभावना है। मेरा तो यह मानना है कि जहां कहीं भी गल्तियों की संभावना दिख रही हो, वहां तो बिल्कुल हड़बड़ी न दिखाइए। थोड़ा धीमा होइए। रफ्तार कम कीजिए और कीजिए इंतजार। इंतजार परिणाम आने का, इंतजार कोशिशों को अंजाम पानेका और इंतजार उस अहसास का भी जो आपके अंदर तक पहुंचने के बाद महसूस होता है। इसे थोड़ा समझ लीजिए। आपको किसी ने गाली दी, जवाब में आपने भी उसे गाली दे दी। पर, जब रात में आप सोने गये तो आपको लगा कि उसका गाली देना ठीक था और आपका जवाब में गाली देना गलत। तो इस गल्ती को आप कैसे सुधार पायेंगे? जरूरी था कि गाली देने से पहले इंतजार कर लेते। क्योंकि तब अहसास का इंतजार करना होता। एक बात और। दुनिया में कुछ भी एकाएक नहीं होता। सब कालखंड, कालावधि का हिस्सा होता है। जीनव-मृत्यु के बीच फासले बहुत कम होते हैं। अभी जीवन है, अभी ट्रक के नीचे आ गये। अभी जीवन था, अभी खत्म। तो जल्दबाजी किस बात की, हड़बड़ी किस बात की? और कुछ बातें जो किसी के लिए बिल्कुल असामान्य होती हैं, किसी के लिए बिल्कुल सामान्य होती हैं। यह आपके लिए भी सामान्य हो सकती हैं, यदि आप इसके लिए थोड़ा इंतजार करना सीख जायें। एक बात और। यदि किसी पौधे को पानी नहीं दिया जाय तो क्या वह फल नहीं देगा? आम का होगा तो आम का ही देगा और देगा जरूर। आपको बुखार लग गया और आपने खूब दवा कर उसे छुड़ा लिया, पर क्या आप दवा नहीं खायेंगे तो बुखार नहीं जायेगा? कोई घाव, जिसकी आपने मरहम पट्टी नहीं की, क्या वह ठीक नहीं होता? सबकुछ ठीक होता है, पर उसके लिए इंतजार चाहिए, समय चाहिए और बेहतर परिणाम हासिल कर सकने लायक निरंतर प्रयास चाहिए। चाहिए कि नहीं। फिलहाल इतना ही। व्यक्तित्व विकास पर अभी चर्चा जारी रहेगी। अगली पोस्ट में पढ़िए- आपका विकल्प वो तो उसका विकल्प कौन?
लगातार गल्तियों का मतलब सफलता के करीब भी जाना होता है, यदि गल्तियां होश में की जायें। इसलिए गल्तियों से सबक लीजिए, उससे घबराइए नहीं।
सही बात कही आपने
ReplyDeleteबहुत ही उचित लेख लिखा आप ने.
ReplyDeleteधन्यवाद
behtar post.
ReplyDelete"Aatmaviswas wah tonic hai, jo hamari sarvottam shakti ko sakriya banata hai."
Anoj, Ajmer
after reading your blog I feel you are extra ordinary person.you should write daily.
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