Friday, April 4, 2014

खबर हार्ड तो हेडिंग साफ्ट - 3

खबरों की जान हैं शीर्षक -4

आइए लेते हैं खबरों की खबर - 8
इसके पहले कि बात आगे बढाऊं, आपको एक शीर्षक सुझाता हूं। इसे जरा उस खबर पर फिट करके देखिए, जिससे बात शुरू हुई और इतनी दूर तक निकल आई। शीर्षक है - पूछ रहीं मासूम आंखें, मेरा गुनाह क्या? बात हार्ड खबर दिनदहाड़े युवक की हत्या के साफ्ट शीर्षक लगाने की थी। अब इस शीर्षक को हत्या की खबर पर फिट कर देखिए। मासूम आंखें उस युवक की पत्नी की हो सकती हैं, उसके बूढ़े माता-पिता की हो सकती हैं, उसके बच्चों की हो सकती हैं। बस, दिनदहाड़े हुई हत्या की खबर लिखने से पहले आपको सिर्फ इतना करना होगा कि उसके उन परिजनों के बारे में पता करना होगा, उनसे मिलना होगा और उनसे बात करनी होगी। इस खबर की सब हेडिंग बनाइए - बदमाशों ने दिनदहाड़े छीना मासूम के सिर का साया, हत्यारों ने छीना बुढ़ापे का सहारा, उजाड़ दिया सुहाग, सुहागिन के सपने चकनाचूर आदि आदि..। 


गोरखपुर की बात है। अगवा कर एक लड़की से सामूहिक बलात्कार किया गया। बाद में लहूलुहान हालत में उसे फेंक दिया गया। लड़की जब अस्पताल में भर्ती हुई तो खबरनबीशों को इसकी जानकारी मिली। अब शुरू हुई खबर लिखने और खबर के पीछे की खबर ढूंढ़ने की मशक्कत। फोटोग्राफर ने एक अच्छा काम किया। उन्होंने बेड पर पड़ी लड़की के चेहरे का एक ऐसा क्लोजअप फोटो लिया, जिसमें लड़की की आंखें पूरी व्यथा को न केवल खोल रही थीं, बल्कि देखने वाले को सहानुभूति और गुस्सा दोनों से भर रही थीं। सवाल था, इस हार्ड खबर का साफ्ट शीर्षक क्या हो? समीकरण वही फिर सामने था, हेडिंग साफ्ट होनी चाहिए। ...और शीर्षक लगा - आंखों में सवाल, मेरा लड़की होना गुनाह? यकीन कीजिए, कल जिसने भी शीर्षक पढ़ा, रोमांचित हो गया, फीडबैक यही था।

शहर में लूट की वारदात हुई। लुटेरों ने दंपती को बांधकर इत्मीनान से डेढ़ घंटे तक घर को खंगाला और नकदी-जेवर के साथ जरूरी टीवी-फ्रिज, वाशिंग मशीन, गैस स्टोव जैसे घरेलू सामान भी ले गए। मध्यम वर्ग के इस परिवार ने कई वर्षों में जरूरी खर्चे काट-काट कर और एक-एक कर इन्हें जुटाए थे। निश्चित रूप से यह चोरी उन पर भारी पड़ गई, वे कंगाल हो गए। इस हार्ड खबर की भी साफ्ट हेडिंग ही निकली और सच में लाजवाब रही, प्रतिद्वंद्वियों को लाजवाब कर गई। शुरू में संवाददाता ने इसकी हार्ड हेडिंग ही लगाई थी, जो जम तो रही थी मगर दूसरे अखबारों से आगे निकलने का माद्दा नहीं दिखा रही थी। बातें शुरू हुईं तो बात पकड़ में आई। बात उस घर की महिला की थी, जो चोरी की घटना के बाद हर किसी से कह रही थी। क्या? जो कह रही थी वही शीर्षक बन गया। आप भी सुनिए - अब कहां से खरीदूंगी टीवी, कैसे पकेगा खाना। महिला का अगला वाक्य सब हेडिंग बन गई - डेढ़ घंटे में लुटेरों ने कंगाल बना दिया।

मुझे लगता है, उदाहरण कई हो गए, बात भी समझ में आ गई होगी। यानी हार्ड खबर की साफ्ट हेडिंग हार्ड खबर को और हार्ड बना देती है, आपको प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे ले जाती है और पढ़ने वालों को पूरी खबर पढ़ने के लिए पन्ने पर रोक देती है। रोक देती है नहीं? यदि मानते हैं कि रोक देती है तो आप भी शुरू कीजिए हार्ड खबर की साफ्ट हेडिंग लगाना। इस कला में आप रातोरात सिद्ध नहीं हो पाएंगे। कोई रातोंरात होता भी नहीं। लेकिन, यदि मानसिकता बन आई तो मेरा दावा है कि इस कला में पारंगत हो जाने में आप भी खुद को नहीं रोक पाएंगे। अब अगली चर्चा होगी - कैसे बनाते हैं साफ्ट खबर की हार्ड हेडिग।